कर्णवंशी क्षत्रिय (कर्ण राजपूतों) के प्रचलित वंशानुगत गोत्र
कर्णवंशी क्षत्रिय ( कर्ण राजपूतों ) के प्रमुख गोत्र कुछ इस प्रकार है गहलौत, बड़गूजरे, कुशवाह, पवार, यादव (जादव),तोमर(तंवर),भाटी ,कटारे, कैमले,पिथौरिया, शिशौदिया (सासना),चौहान,लोहमोड ,दायना, गौर, मौर्य (मोरी), अमेही, अंबेई (अम्बे) , कुलाया, निर्वाण, कूकरे, असारसी, भारद्वाज, बेलई, थानेसरा, कुलवी, सिवाल, चाखा, मोहाल, रीठा, जलाया, लकवाल, महलाना (महलूना) , मठसिंघला, छजेले, चंदेले, दादले, सिंघले, भौयले, बाछल फूलेल, सांखला, झाला, गोरे (गोरुवा) ,लोधड़े, धाकड़े, बांदरे, जाहूरे, जाबरे, गूजरे , सांवरे, नुनेरे, नीमले, आमले, तीतरे, तिथौरे, सुनहरे, सुनेरे, जासुरे, मौहाबरे, भेड़रे , कटारे (कटारिया ) , बौसरे, बासले, पेठे, टुकरेले, खड़ेले, खोबाड़, बेनवाल (बहिनबार), काशनवाल, चावक, चिरमोटे, चमोटे, चमोले, कनेरे, कनखरे, रैवाडे , बड़ेसरे, बरेले, हांसले, पाथरे (पथरिया, पिथोरिया) , भाटी, भेनिया, फैनिया, सुकरू, कदम, कदमीले, सैंमले, सेंतले, नाटले, मौहसरे, सुरेले, आंसले (आंसुरे) , कूतरे, छौकर, डांगर (डांगरे) , गेंडे, नारियल, नीर, पुंडीर, उनिया, सारश्वत, कौंडल, मौरध्वज, संकल्प, कश्यप, परिछारी, चावला, चावक, हिन्नोटिया, बनचर, थंदेले ,इत्यादि गोत्र और भी है
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