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कर्णवंशी क्षत्रिय (कर्ण राजपूतों) की वंश नदी है अश्व नदी (आसन नदी)

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अश्व नामक नदी का उल्लेख महाभारत में चर्मण्वती (चंबल ) की सहायक नदी के रूप में है। नवजात शिशु कर्ण को कुंती ने जिस मंजूषा में रखकर अश्व नदी में प्रवाहित कर दिया था जो की बहता हुआ पंचनदे( यमुना, चंबल , सिंध , कुंवारी , पहुज ) ज़िला जालौन उत्तर प्रदेश पर पहुंची थीं पांच नदियों के संगम को गंगा की धारा की संज्ञा दी गई है इसलिए यहां गंगा दशहरा के दिन स्नान कर प्रातः पर्व लेने की प्रथा है यही पर अधिरथ और राधेय मां गंगा दशहरा के दिन प्रातः पर्व लेने के लिए आए थे तो यह मंजूषा उन्हें नदी में स्नान करते वक्त मिला जिसमें वालक कर्ण थे  माता कुंती ने वालक कर्ण को अश्व नदी की गोद में सौंपते हुए अश्व नदी से बालक कर्ण की एक मां की भांति रक्षा करने की प्रार्थना कर अपने गंतव्य तक पहुंचाने का आग्रह किया जिसे अश्वनदी ने स्वीकार किया और मां की भांति ही वालक कर्ण को सकुशल अधिरथ और राधे मां को सुपर्द कर दिया इसलिए कर्णवंशी क्षत्रिय समुदाय अश्वनदी को मां का दर्जा देते है और वंश नदी के रूप में पूजते है क्योंकि अश्व नदी की ममतामई स्नेह पर ही कर्ण वंश की नीव रखी हुई है ' मंजूषा त्वश्वनद्या: साययौं चर्मण्वतीं ...

कर्णवंशी क्षत्रिय (कर्ण राजपूतों) के प्रचलित वंशानुगत गोत्र

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कर्णवंशी क्षत्रिय ( कर्ण राजपूतों ) के प्रमुख गोत्र कुछ इस प्रकार है गहलौत, बड़गूजरे, कुशवाह, पवार, यादव (जादव),तोमर(तंवर),भाटी ,कटारे, कैमले,पिथौरिया, शिशौदिया (सासना),चौहान,लोहमोड ,दायना, गौर, मौर्य (मोरी), अमेही, अंबेई (अम्बे) , कुलाया, निर्वाण, कूकरे, असारसी, भारद्वाज, बेलई, थानेसरा, कुलवी, सिवाल, चाखा, मोहाल, रीठा, जलाया, लकवाल, महलाना (महलूना) , मठसिंघला, छजेले, चंदेले, दादले, सिंघले, भौयले, बाछल फूलेल, सांखला, झाला, गोरे (गोरुवा) ,लोधड़े, धाकड़े, बांदरे, जाहूरे, जाबरे, गूजरे , सांवरे, नुनेरे, नीमले, आमले, तीतरे, तिथौरे, सुनहरे, सुनेरे, जासुरे, मौहाबरे, भेड़रे , कटारे (कटारिया ) , बौसरे, बासले, पेठे, टुकरेले, खड़ेले, खोबाड़, बेनवाल (बहिनबार), काशनवाल, चावक, चिरमोटे, चमोटे, चमोले, कनेरे, कनखरे, रैवाडे , बड़ेसरे, बरेले, हांसले, पाथरे (पथरिया, पिथोरिया) , भाटी, भेनिया, फैनिया, सुकरू, कदम, कदमीले, सैंमले, सेंतले, नाटले, मौहसरे, सुरेले, आंसले (आंसुरे) , कूतरे, छौकर, डांगर (डांगरे) , गेंडे, नारियल, नीर, पुंडीर, उनिया, सारश्वत, कौंडल, मौरध्वज, संकल्प, कश्यप, परिछारी, चावला, चावक, हिन्नो...