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मनु स्मृति के अनुसार सूत शब्द व्युत्पत्ति की व्याख्या

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क्षत्रियाद्विप्रकन्यायां सूतो भवति जातितः। वैश्यान्मागधवैदेहौ राजविप्राङ्गनासुतौ।    ( मनु स्मृति के 10 वें अध्याय का 11वां श्‍लोक ) अर्थात् मनु स्मृति से हमें ज्ञात होता है कि 'सूत' शब्द का प्रयोग उन संतानों के लिए होता था, जो ब्राह्मण कन्या से क्षत्रिय पिता द्वारा उत्पन्न हों। महाभारत पुराण के भीष्म पर्व के 30 वे अध्याय के अनुसार भी महारथी कर्ण सूत पुत्र नहीं थे पालक पिता अधीरथ होने के कारण उन्हें सूत पुत्र कहा जाता था कौन्तेयस्त्वं न राधेयो न तवाधिरथः पिता। सूर्यजस्त्वं महाबाहो विदितो नारदान्मया।। ( भीष्म पर्व ३० वा अध्याय) श्रीकृष्णस्तोत्रं इन्द्ररचितम् - गोर्वधन लीला के समय प्रभु श्री कृष्ण के क्रोध से बचने के लिए और प्रभु श्री कृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए देवराज इंद्र ने भक्ति भाव से श्रीकृष्णस्तोत्रं की रचना की जिसे सुन कर प्रभु कृष्ण ने इंद्र की सारी भूल को माफ़ कर दिया था तथा प्रभु श्री कृष्ण ने देवराज इंद्र को यह वरदान दिया कि जो मनुष्य इस स्त्रोत का सच्चे मन से भक्ति भाव से पाठ व स्तुति करेगा उसका में सदैव कल्याण करूंगा  " देवराज इंद्...